कविता

जय श्रीराम

२४ चैत्र २०८१
रन्जुश्री पराजुली

काम क्रोध, लोभ, मद सब त्यागी
कर्तब्यतर्फ डोर्याउने जय श्री राम
पितृ मातृ अनि भ्रातृ भक्ति नमुना
सब भक्ति पालन कर्ता जय श्री राम।१।

कर्तव्य पथमा सदैब अडिग मानव रुपी
आध्यात्मिक देव महान जय श्रीराम
बाहिरी रूप जन भैकन सच्चा देवमहान
राक्षससहित कुनासक जयश्रीराम।२।

कुशल चेला आज्ञाकारी रास्ट्र भक्तमहान
रीस, रागबिना जीवन गङ्गा जयश्री राम
शिव भक्तिभाव तरङ्गित  वानरसेनासहित
रावणरुपी घमण्ड नाश कर्ता जय श्रीराम।३।

बानरसेना बलशाली बुद्धि विवेक महान
श्रीहनुमान भक्तिभावले सङ्ग जय श्रीराम
रुप बदलीकन सीतामाता खोज्दै डुल्ने
रामभक्त हनुमान प्रिय जय श्रीराम।४।

स्वर्णलंका भस्म गराई सीतामाता खोज्दै
अशोक वाटिकाभित्र पसी  जय श्रीराम
पाठ गर्दै मातालाई निज पहिचान दिंदै
आवाज दिँदै एक रटलगाई जय श्रीराम। ५।

बाँसबारी, काठमाडौ। 
हाल : अस्टिन, अमेरिका। 
२०८१/१२/२३। 

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